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by KhelMedia

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  • बीसीएल के खाता संचालन को तीन हस्ताक्षरी बनाने के पीछे राशि बंदरबांट की मंशा तो नहीं ?
  • गैर खेल मद में निकासी पर सीईओ सहमत, कोषाध्यक्ष और कार्यकारी सचिव ने झाड़ा पल्ला

मुजफ्फरपुर 01 जून:  बिहार क्रिकेट संघ (अध्यक्ष खेमा) बीसीए और बीसीएल के खाता को एक समझाने में लगा है।उनका कहना है कि बीसीएल की राशि बीसीए की है वे उसका जैसा चाहें उपयोग कर सकते हैं। इसका बड़ा प्रमाण बीसीए के संविधान के विपरीत खाता संचालन के लिए दो की जगह तीन हस्ताक्षरी को नामित करना और मनचाहे ढंग से गैर खेल मद में पैसे की निकासी करना है। ये बाते एमडीसीए(उत्पल रंजन गुट) सचिव एवं स्वतंत्र पत्रकार मनोज कुमार ने प्रेस विग्यप्ति जारी  कही है।

उन्होंने आगे कहा” बीसीए सूत्रों की माने तो संविधान के अनुसार खाते के संचालन को कोषाध्यक्ष और सीईओ चेक पर हस्ताक्षर के अधिकारी हो सकते हैं। बीसीए के निर्वाचित कोषाध्यक्ष और बीसीएल खाते के प्रमुख हस्ताक्षरी आशुतोष नंदन सिंह ने बीसीएल के खाते से किए जा रहे हैं अंधाधुंध निकासी पर अनभिज्ञता जाहिर करना मंशा स्पष्ट कर रहा है। सूत्रों की माने तो इस संदर्भ में कोषाध्यक्ष ने बीसीए कार्यसमिति को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि बीसीएल के खाते से गैर खेल मदों में किसी भी निकासी के लिए वे जिम्मेवार नहीं होंगे क्योंकि खाता से निकासी के संदर्भ में न तो उनसे मंतव्य लिया गया है और न इस संदर्भ में कमेटी ऑफ मैनेजमेंट का कोई फैसला ही मुहैया कराया गया है ।फिलहाल जो भी निकासी की जा रही है वह अध्यक्ष की सहमति से दो हस्ताक्षरी सीईओ मनीष राज और संयोजक ओम प्रकाश तिवारी के मेल से हो रहा है। ऐसे में किसी भी ढंग के कानूनी फजीहत के लिए उनकी जिम्मेवारी नहीं बनती है।

इस संदर्भ में पूछे जाने पर बीसीए के कथित सीईओ मनीष राज का कहना है कि बीसीएल गवर्निंग काउंसिल की बैठक में खाता संचालन के लिए तीन हस्ताक्षररी बनाए जाने पर सहमति बनी थी। उन्होंने बीसीएल के खाते से गैर खेल मदों में किए गए निकासी को भी जायज ठहराया और कहा कि बीसीएल और बीसीए दो अलग-अलग समूह नहीं है। ऐसे में जरूरत के मुताबिक खाते पर मौजूद राशि का बीसीए के लिए उपयोग गलत नहीं माना जाएगा। उन्होंने बड़े पैमाने पर नगद राशि की निकासी पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गवर्निंग काउंसिल की बैठक में लिए गए फैसले के अनुरूप बीसीएल के संचालन से लेकर अन्य भुगतान हेतु उक्त राशि से पैसे की निकासी की गई है ।

इस संबंध में पुछे जाने पर बीसीए के कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद ने अनभिज्ञता जताया और कहा कि बीसीएल खाता से गैर खेल मदों में किसी तरह के भुगतान की उन्हें जानकारी नहीं है। बीसीएल के खाते के लिए तीन हस्ताक्षरी पर भी आपत्ति दर्ज की और कहा कि बीसीएल की समिति में सदस्य होने के बावजूद किसी भी तरह के आय व्यय में उनकी सहमति अथवा रायशुमारी नहीं की गयी।

बहरहाल इन बातों से यह स्पष्ट संकेत है कि बीसीएल का आयोजन बीसीए की आड़ में चंद लोगों के लिए कमाई का धंधा भर था। इस संबंध में क्रिकेट के जानकार यह भी कह रहे हैं कि बीसीए के संविधान के अनुरूप बीसीएल के खाते से मनमाने ढंग से पैसे की निकासी अवैध है । संचालन के लिए कोषाध्यक्ष और सीईओ को ही हस्ताक्षरी बनाया जा सकता है । ऐसे में तीन लोगों को हस्ताक्षरी बनाने का मतलब साफ है कि इस खाते से कोषाध्यक्ष को अलग रखते हुए भी अवैध निकासी मनमाने ढंग से करने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो।

जब मनोज कुमार द्वारा सीईओ मनीष राज को लेकर कही गई बाते के बारे में पूछा तो बिहार क्रिकेट संघ के सीईओ मनीष राज ने खेलबिहार से कहा” तथ्यों को तोड मरोड़ के पेश किया जा रहा है। मैं इस पर कोई  टिपनी नही करना चाहता हूं।

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