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by KhelMedia

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  • रिव्यू कमिटी की विसात पर मोहरा बनेंगे कार्यकारी सचिव और क्रिकेट जीएम ?
  • नजरें टेढ़ी करने वाले जिला संघो पर गिर सकती है गाज

PATNA 11 जून: बीसीए अध्यक्ष की ओर से जिला क्रिकेट संघ के रिव्यु को लेकर 3 सदस्य टीम के गठन पर कार्यकारी सचिव के विरोध दर्शाने के बाद उनके पक्ष में न सिर्फ बहुतेरे जिला इकाई सामने आए हैं बल्कि क्रिकेट जीएम सुवीर चन्द्र मिश्रा ने भी अध्यक्ष के द्वारा उठाए गए कदम को अनुचित ठहराते हुए रिव्यू कमिटी भंग करने की वकालत की है ।ये बाते एमडीसीए(उत्पल रंजन गुट) के सचिव व स्वतंत्र पत्रकार मनोज कुमार ने कही है।।

उन्होंने कहा” बीसीए सूत्रों की माने तो अध्यक्ष की ओर से रिव्यू कमिटी के गठन के पीछे आगामी चुनाव है। उतार-चढ़ाव भरे अपने सफ़र में बीसीए अध्यक्ष राकेश तिवारी ने समय के हिसाब से लोगों का इस्तेमाल किया है। पहले संयुक्त सचिव कुमार अरविंद इस्तेमाल के पात्र बने थे । बाद में प्रोफ़ेसर नीरज सिंह और सुबीर चंद्र मिश्रा इस्तेमाल में आए ।

हालांकि समय के हिसाब से लोगों का चेहरा बदलता रहा। कभी जिला प्रतिनिधि संजय सिंह कभी सचिव पूर्वी चंपारण ज्ञानेश्वर गौतम, कभी पूर्व कोषाध्यक्ष आनंद कुमार तो कभी सचिव मुंगेर शंकरदेव चौधरी इस्तेमाल किए जाते रहे ।

बीसीए सूत्रों की माने तो मौजूदा पहल क्रिकेट ऑपरेशन के बढ़ते पर को करने के लिए यह कदम उठाया गया है साथ ही कुछ एक वैसे जिला इकाई को भी भय में लाने की सोच है जो कतिपय कारणों से इन दिनों अध्यक्ष खेमा से नाराज चल रहे हैं ।

सूत्रों का कहना है कि रिव्यू कमिटी आज मुखौटा है । इसकी आड़ में जिला इकाइयों को दबाव में लाकर बीसीए के आगामी चुनाव में अपनी दावेदारी से लेकर जीत की मुहर सुनिश्चित करना है ।

रिव्यू कमेटी को लेकर वेबसाइट प्रकाशन के बाद से ही विरोध के स्वर मुखर होते जा रहे हैं विरोध करने वालों में मधुबनी से कालीचरण लखीसराय से जयशंकर सिंह, गया से संजय सिंह, i नवादा से मनीष कुमार, नालंदा से अजय सिंह ,वैशाली से प्रकाश सिंह, मदनलाल आदि शामिल हैं।

बीसीए ग्रूप में व्यक्त प्रतिक्रियाओं में आपरेशन जीएम सुबीर चन्द्र मिश्रा ने आहें भरी। सूचना निकलने के तुरंत बाद कई मित्रों का फोन आया यह क्या हो रहा है , मेरी अध्यक्ष जी से बात हुई , और मैंने कल रात ही स्पष्ट शब्दों में उनसे कहा कि इसको अविलंब उतार दीजिए, उन्होंने उतारने की सहमति भी जताई।

खैर अभी भी कुछ नहीं बीता है, भूल सुधार जितनी जल्दी की जाए अच्छी बात है, भूल सुधार अवश्य होना चाहिए और वेबसाइट से या नोटिफिकेशन तुरंत उतरना चाहिए।
इसमें किसी की हार या जीत से तुलना मत कीजिए बिहार क्रिकेट संघ जिला संघों के समूहों का नाम है, और जिला संघों में हस्तक्षेप नहीं करने का प्रावधान है और इसके उतरते ही हर एक बिहार क्रिकेट से जुड़े हर एक व्यक्ति अपने को जीता हुआ महसूस करेगा, वह भी जिसने इसको चढ़ाया और वह भी जिसने इसको उतारा दोनों और सब का आत्मबल ऊंचा होगा ।

आशा है गवर्नेंस से जुड़े सभी व्यक्ति इसे अन्यथा ना लेंगे और जिला क्रिकेट संघ के भावना को आहत ना करेंगे
इस बात के समर्थन में कालीचरण मधुबनी ने दम भरा।

बिल्कुल सत्य कथन। बिहार क्रिकेट संघ या बी सी सी आई के संविधान में कहीं भी उनकी नीचे कार्यरत संस्था के भीतर या उनके कार्यकलाप में हस्तक्षेप करना नहीं लिखा है।कार्यकारणी के सदस्यों को यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि इसी तरह त्रि सदस्यीय समिति बना के सभी जिलों का विवाद पहले ही जब खत्म किया जा चुका है तो फिर से ये कार्य क्यूं। इसमें तो अपने द्वारा किये कार्य को ही आपलोग गलत साबित करने पे लग गए।

हमलोगों को अपने बिहार के क्रिकेट और खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना होगा न कि इस तरह की बातों में अपना समय नष्ट करें।

अभी बिहार क्रिकेट संघ के द्वारा किये जा रहे वेबिनार का पूरे जिला और खिलाड़ियों द्वारा स्वागत किया जा रहा है। इसी तरह आगे भी उनको अपने खेल के निखार हेतु हमलोगों द्वारा ज्यादा से ज्यादा सुविधा प्रदान करने के बारे में सोचना होगा तभी बिहार के क्रिकेट खिलाड़ी आगे बढ़ेंगे।

मैं व्यक्तिगत तौर पे इस समिति का विरोध करता हूँ और कार्यकारणी के सदस्यों से आग्रह करता हूँ कि अविलम्ब इस समिति को भंग करें तथा वेबसाइट पे जो सूचना प्रकाशित है उसे भी हटा दें।

बहरहाल बीसीए बेवसाइट का संचालक बदलने के साथ बदले तेवर से खलबली तो है। रिव्यू कमिटी के विसात का मोहरा कौन बनेगा इसका खुलासा आज न कल होगा ही। फिलहाल अध्यक्ष पर दबाव बनाया जा रहा है। अब देखने की बात है कि अध्यक्ष झुकते हैं कि अपने तेवर में ही बीसीए की विसात पर नये मोहरें सजाते हैं! लेकिन विरोध में पटल पर आयी बातें भी बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह रही है।

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