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by KhelMedia

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PATNA 16 मई: बिहार क्रिकेट संघ के मीडिया कमेटी के संयोजक कृष्णा पटेल कहा है कि बीसीए से निलंबित सचिव संजय कुमार का फर्जीवाड़ा एक बार फिर से उजागर हुआ है। जिसमें इन्होंने अपने प्रवक्ता के माध्यम से अपने अनैतिक कार्यों पर पर्दा डालने के लिए अब मीडिया को भी दिग्भ्रमित कर उल्टा -सीधा खबर चलवा रहे है।
वास्तविकता यह है कि मीडिया को अंधकार में रखने के लिए आधा अधूरा कागजात मुहैया कराते हैं। लेकिन सच्चाई है कि “चोर की दाढ़ी में तिनका” जिस आधा- अधूरा कागजात को प्रस्तुत कर गलत खबर चलाने का प्रयास किया उसी कागजात में सच्चाई भी छिपी हुई है। जिसे मैं उजागर करते हुए आपको इन लोगों के असली चरित्र से रूबरू करा रहा हूं और मैं पूरा कागजात प्रस्तुत करूंगा कुछ भी अंधकार में नहीं रखूंगा।

आपको बता दे बीसीए मीडिया कमिटी के संयोजक कृष्णा पटेल ने प्रेस विग्यप्ति जारी कर बताया है की बीसीए के नैतिक ऑफिसर सह लोकपाल(अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश) राघवेन्द्र प्रसाद सिंह ने सचिव संजय कुमार को कंफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के मामलों में दोषी पाया और संघ के सीओएम एवं आम सभा के सदन में लिए गए निर्णय को सही ठहराया और अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि निलंबित सचिव संजय कुमार पद का दुरुपयोग कर अपने बेटे को वर्ष 2019 में विजय हजारे टीम में शामिल किया है ।इसलिए निलंबित सचिव को बर्खास्त किया जाता है और एक वर्ष के लिए क्रिकेटिंग गतिविधियों से भी अलग रहने का आदेश जारी किया जाता है।(आदेश की कॉपी खेलबिहार के पास उपलबध है).

आदेश को पूरा पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे:https://drive.google.com/file/d/10cnpnUMy6Z45iv7DLGq3ZaqMiMW63ITA/view?usp=drivesdk

जिसके बाद सचिव संजय कुमार के प्रवक्ता राशिद रौशन ने कहा था कि”बिहार क्रिकेट संघ में कथित एथिक्स ऑफिसर (अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश)  राघवेन्द्र प्रसाद सिंह के कार्य पर उच्च न्यायालय ने एक वर्ष से रोक लगा रखा है फिर भी उनके द्वारा किसी भी मामले दखल देना या सुनवाई करना या फिर फैसला सुनाना उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना है।(उच्च न्यायालय की आदेश की एक कॉपी भी खेलबिहार को उपलबध कराया) .

राशिद रौशन द्वारा उपलब्ध कराये गए कागज़ात

राशिद रौशन ने जिस उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला लेकर यह बात कही थी तथा जो कागजात खेलबिहार को उपलब्ध कराया था उसे बीसीए मीडिया संयोजक कृष्णा पटेल ने अधूरा बताया है। श्री पटेल ने कहा ” जिस कोरम संख्या :- 14 का हवाला देते हुए निलंबित सचिव और उनके प्रवक्ता ने मीडिया और खिलाड़ी व खेल प्रेमियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं उसी कोरम में प्रतिवादी नंबर :- 4 का जिक्र किया गया है। जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगले आदेश तक प्रतिवादी नंबर:- 4 जो सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति श्रीमती नीलू अग्रवाल हैं। वहीं इसमें यह भी जिक्र किया गया है कि लोकपाल या नैतिकता अधिकारी के रूप में बीसीए किसी भी शक्ति का प्रयोग कर सकता है और मैं आपको बता देना चाहता हूं कि वह प्रतिवादी नंबर :- 4 माननीया श्रीमती नीलू अग्रवाल (न्यायमूर्ति, रीटा. उच्च न्यायालय पटना) हैं जिनको बीसीए से संबंधित इस मामले में किसी प्रकार का आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है।क्योंकि इनका कार्यकाल भी नवंबर 2020 में समाप्त हो चुका है।

कोरम नंबर:- 14 और प्रतिवादी नंबर 4 में कहीं भी बीसीए के माननीय लोकपाल सह नैतिकता अधिकारी श्री राघवेंद्र प्रसाद सिंह का जिक्र नहीं है और इन्हें अपने न्यायालय में सुनवाई करने और दोषी को सजा सुनाने का पूरा अधिकार प्राप्त है और इसी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए बिहार क्रिकेट संघ से निलंबित सचिव संजय कुमार पर दर्ज कंफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के दो मामलों में दर्ज प्राथमिकी संख्या :- CWJC 4868/2020 पर सुनवाई करते हुए बिहार क्रिकेट संघ के नैतिक अधिकारी सह लोकपाल (अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश) राघवेन्द्र प्रसाद सिंह ने कंफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट व लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के उल्लंघन मामलों में दोषी पाया और संघ के सीओएम एवं आम सभा के सदन में लिए गए निर्णय को सही ठहराया और अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि निलंबित सचिव संजय कुमार पद का दुरुपयोग कर अपने बेटे को वर्ष 2019 में विजय हजारे टीम में शामिल किया जो लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों का सीधा-सीधा उल्लंघन है ।इसलिए निलंबित सचिव को बर्खास्त किया जाता है और एक वर्ष के लिए क्रिकेटिंग गतिविधियों से भी अलग रहने का आदेश जारी किया जाता है।

कृष्णा पटेल द्वारा उपलब्ध कराया गया उसी उच्च न्ययालय के आदेश का कागज़ात

कृष्णा पटेल में आगे कहा है कि ज्ञात हो कि बिहार क्रिकेट संघ के वार्षिक आमसभा की बैठक में निलंबित सचिव संजय कुमार पर पद का गलत इस्तेमाल करने और वर्ष 2019 राष्ट्रीय चयनकर्ताओं द्वारा बिहार के चयनित विजय हजारे की टीम में छेड़छाड़ कर पिछले दरवाजे से पद का गलत इस्तेमाल कर अपने बेटे को टीम में शामिल कराने का आरोप लगा था और सदन ने दोषी ठहराते हुए सचिव संजय कुमार को निलंबित कर दिया था।उसके बाद यह मामला बीसीए के नैतिक अधिकारी सह लोकपाल के न्यायालय में पहुंची जिस पर आज सुनवाई करते हुए नैतिक अधिकारी ने निलंबित सचिव संजय कुमार पर लगे सभी आरोपों में दोषी पाया है और आज निलंबित सचिव के कार्यकाल पर पूर्णविराम लगाते हुए एक वर्ष तक क्रिकेटिंग गतिविधियों से भी अलग रहने का फरमान जारी कर दिया है।

तो हो गया ना दिग्भ्रमित करने वाले लोगों का पर्दाफाश ” बुरा देखन मैं चला, बुरा ना मिलल कोई।जो दिल ढूंढा आपनो, मुझसे बुरा न कोई” और मैं मांग करता हूं किस न्यायालय ने अपने आर्डर में निलंबित सचिव संजय कुमार को बीसीए का सचिव बरकरार किया है उसकी कागजात भी मीडिया के सामने प्रस्तुत करें।

इस पुरे कागजात को देखा जाये तो बीसीए सचिव संजय कुमार के प्रवक्ता राशिद रौशन द्वारा उपलब्ध कराये गए उच्च न्यायालय द्वारा प्राथमिकी संख्या :- CWJC 4868/2020 पर जारी आदेश की कागजात फ़िलहाल अधूरी है क्योकि इन कागजात में कही भी बीसीए के नैतिक ऑफिसर सह लोकपाल (अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश) राघवेन्द्र प्रसाद सिंह का जिक्र नहीं है। हालांकि खेलबिहार ने राशिद रौशन से पूरी आदेश की कागज़ात की मांग की है उन्होंने कहा कल सुबह पूरी कागजात भेज दिया जायेगा।

बीसीए के नैतिकता अधिकारी के इस फैसले का स्वागत करते हुए बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी, उपाध्यक्ष दिलीप सिंह, कार्यकारी सचिव कुमार अरविंद, कोषाध्यक्ष आशुतोष नंदन सिंह, जिला प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह, बीसीए के पूर्व सचिव अजय नारायण शर्मा, टूर्नामेंट कमेटी के चेयरमैन संजय सिंह सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि संघ इस फैसले का सम्मानपूर्वक पालन कर बिहार क्रिकेट को विकास के पथ पर चलने के लिए कटिबद्ध है और जिला संघों , खेल व खिलाड़ियों के हित में कार्य करने के लिए अग्रसर रहेगा।बीसीए सभी खिलाड़ियों (पुरुष व महिला वर्ग), सपोर्टिंग स्टाफों क राशि भुगतान करने के लिए तत्पर है।

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