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बीसीए सचिव संजय कुमार ने बिहार क्रिकेट संघ को बचाने के लिए लिखा पत्र,देखें

by KhelMedia

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पटना 28 मार्च: बिहार क्रिकेट संघ के सचिव संजय कुमार ने बिहार क्रिकेट संघ के सभी जिला क्रिकेट संघों के सम्मानित अध्यक्ष एवं सचिव, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यगन, एसोसिएट सदस्यगण एवं बिहार क्रिकेट से जुड़े सभी कोच- पूर्व क्रिकेटर्स, अंपायर को होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देते हुए एक महत्वपूर्ण पत्र लिखा है।।

और यह पत्र बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े सभी जिला संघों के पदाधिकारियों, बीसीए एपेक्स कॉंशिल के सभी वर्तमान और पूर्व सदस्य तथा बीसीए से जुड़े सभी पूर्व क्रिकेटर, अंपायर एवं वर्तमान में बिहार क्रिकेट के सभी खिलाड़ियों को संबोधित किया है।

उन्होंने पत्र में बिहार क्रिकेट संघ को बचाने की अपील की है तथा नाम न लेते हुए सीधे बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी पर निशाना साधते हुए उनके द्वारा किए जा रहे कामो से सभी को अवगत कराते हुए कुल 14 बिन्दुओं से सभी को अगवगत कराया है।।

सचिव संजय कुमार ने पत्र लिखा है” वर्ष 2001 में बिहार विभाजन के बाद 1935 से निबंधित बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का अस्तित्व समाप्त हो गया, बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का नाम बदलकर झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन रख दिया गया। देश क्रिकेट इतिहास की यह पहली और आखिरी घटना हुई जब पुराने के जगह बीसीसीआई ने नवगठित राज्य झारखंड को क्रिकेट की मान्यता दी और वहां क्रिकेट संचालित करने को अनिवार्य माना। एक तरह से कहा जाए तो बिहार में क्रिकेट को जबरन समाप्त कर दिया गया। मुझे लगता है कि उस समय भी बिहार क्रिकेट से जुड़े लोगों को अपार कष्ट हुआ होगा।

आज भी कुछ ऐसी हीं परिस्थिति दिख रही है, ऐसा लग रहा है कि निकट भविष्य में बिहार क्रिकेट एक बार फिर से समाप्ति की ओर जाएगा। इस बार की स्थिति कुछ भिन्न है, इस बार न केवल बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की मान्यता बीसीसीआई से समाप्त हो सकती है, वरन् बिहार क्रिकेट के अनेक वर्तमान और पूर्व खिलाड़ियों, कोच आदि पर भी बीसीसीआई के द्वारा कारवाई की जा सकती हैं।

यह एक गंभीर मामला है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके पीछे एक हीं व्यक्ति जिम्मेदार है, जिसे हम सब जानते है, उसकी गैरकानूनी हरकतों को देखते हुए भी चुप हैं और बिहार क्रिकेट को समाप्ति की कगार पर जाते हुए देख रहे हैं।

हो सकता है कि कुछ लोगों को लगता होगा कि यह व्यक्ति बहुत बड़ा और पैरवी वाला, देश के सर्वाधिक बड़े राजनीतिज्ञ का खास नजदीकी व्यक्ति है, मगर हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। यह बेहद चतुर -चालक है और हमलोगों के बीच में दरार पैदा कर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर अपना कब्जा जमाना चाहता है, जो कि लगभग असंभव है।क्योकि इसकी काली करतूतों कि कलई कमोबेश आप सभी लोगों के बीच खुलती जा रही है।

इस पत्र के माध्यम से मैं इसके अनेक गैर कानूनी कार्यों और उससे बिहार क्रिकेट को हुई हानि तथा इस व्यक्ति कि अगली योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए आप सबों से बिहार क्रिकेट को बचाने के लिए मदद का हाथ बढ़ाने कि अपील करूंगा और किस तरह से इस व्यक्ति ने Use & Throw की नीति पर काम किया है, लोगो को गुमराह किया है, उस पर भी कुछ उदाहरण दूँगा।

1. सबसे पहले तो मैं यह बताना चाहता हूँ कि 29 सितंबर 2019 को चुनाव सम्पन्न होने के बाद 15 नवंबर 2019 को हुई दूसरी कमेटी ऑफ मैनेजमेंट कि बैठक कि कार्यवाही में बदलाव कर और पटना उच्य न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश को गुमराह कर इस व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट से संपुष्ट संविधान का उलंघन कर लोकपाल कि नियुक्ति कर डाली, नतीजा क्या हुआ कि पटना उच्य न्यायालय ने उनके कार्य करने पर रोक लगा दिया। इस बात के गवाह उस व्यक्ति को छोड़कर कमेटी ऑफमैनेजमेंट के सभी सम्मानित सदस्य और सी ई ओ बीसीए सुधीर कुमार झा हैं। नतीजा आप सबों के सामने है।

2. 31 जनवरी 2020 को ए जी एम का आयोजन कर संविधान के विरुद्ध जाकर मेरे कार्य कर जबरिया रोक लगाने कि कोशिस कि, बीसीसीआई और आप सभी को गुमराह किया, नतीजा आप सबों के समक्ष है।

3. नए चुनाव के बाद होने वाले संस्था संसोधन का कार्य आज तक निबंधन विभाग बिहार सरकार से नहीं हो सका, जिसके कारण आज बीसीए का मूल बैंक खाता जो बैंक ऑफ इंडिया, सचिवालय शाखा में है, उस के परिचालन पर रोका है।

4. अगर यह संस्था संसोधन का कार्य हो गया होता तो बीसीसीआई के यहां लंबित/बकाए बिहार का फंड जो लगभग पचास करोड़ है, आज बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को प्राप्त हो चुका होता और बिहार क्रिकेट का विकास अपने चरम पर होता।

5. आप लोगों में से लगभग अधिकतर लोगों को मालूम है कि 31 जनवरी कि घटनाओं के बाद यह व्यक्ति आप सबों को स्वयं या अपने कि अवैध गुर्गे के माध्यम से संदेश देता रहा है सब कुछ ठीक है, बीसीसीआई से फंड आ जाएगा, आई जी निबंधन से संस्था संसोधन भी हो जाएगा और बैंक का खाता भी खुल जाएगा। इस क्रम में इस व्यक्ति ने कई सम्मानित लोगों, जैसे केंद्र सरकार के मंत्री और बीसीसीआई से पदाधिकारी से बात होने का भी हवाला दिया होगा, मगर नतीजा क्या निकला, कुछ नहीं। आज अगर बिहार के क्रिकेटर बीसीसीआई के मैचों में भाग ले रहे हैं तो उसका मुख्य कारण है सुप्रीम कोर्ट का आदेश।

6. एक शिकायत जो आप सभी लोगों तक पहुँचती होगी कि सत्र 2019-20 में बीसीसीआई के घरेलू मैचों में बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले क्रिकेटरों को अब तक मैच फीस का भुगतान नहीं हुआ है। आखिर क्यों ? बिहार देश का पहला राज्य है जिसके खिलाड़ियों के मैच फीस का भुगतान नहीं हुआ है।

7. आप लोग भी यह जरूर सोंच रहे होंगे कि यह व्यक्ति सही होता तो बीसीसीआई से फंड भी आता, बैंक खाता भी बंद नहीं होता , आई निबंधन के यहां से संस्था संसोधन का कार्य भी हो चुका होता और बिहार के क्रिकेटरों के मैच फीस का भुगतान भी हो चुका होता।

8. यह व्यक्ति मेरे ऊपर आरोप लगता है कि मैंने अपने बेटे को खेलवाया। मैं आप तमाम लोगों को विनम्रता पूर्वक सूचित करना चाहता हूँ कि मेरा बेटा वर्ष 2017 से अपने प्रदर्शन के दम पर बिहार क्रिकेट टीम का हिस्सा बना रहा है, यह देखने और समझने वाली बात है।

9. इस व्यक्ति ने आज कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों कि क्या हालत कर दी है ? आज हमारे सम्मानित उपाध्यक्ष हों या इस व्यक्ति के द्वारा कथित कार्यकारी सचिव हों, खिलाड़ियों के पुरुष और महिला प्र्टिनिधि हों या फिर हमारे कोशाध्यक्ष महोदय, किस हालत में हैं आप लोग? चूंकि आप इज्जतदार हैं इसलिए इस व्यक्ति का विरोध मुखर होकर नहीं कर रहे हैं। आप सबों को समय के साथ यह उपयोग करता है, और फिर हँसिये पर लाकर छोड़ देता है, ताकि बिहार क्रिकेट पर पूर्णत: कब्जा जमाने कि इसकी साजिश सफल हो सके।

10. इस व्यक्ति ने पूर्व कि कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों के सम्मान का भी ख्याल नहीं किया। सबों को अपनी साजिश का हिस्सा बनाना चाहा लेकिन मुझे खुशी है कि कोई भी पूर्व के सम्मानित सदस्य इसके झांसे में नहीं आए ।

11. बात केवल मनमानी कि थी सीजन चल रहा था, हमारे खिलाड़ी खेल रहे थे मैं भी चुप था। मैंने मुस्ताक अली टी -20 में भी बिहार क्रिकेट का हिट देखा और बीसीसीआई के प्रतिनिधि देवांग गांधी के पहल पर आहूत विशेष आपातकालीन बैठक में हुए निर्णय के आलोक में टीम कि रवानगी पर अपनी सहमति दी, ताकि बिहार कि छवि बची रहे, हमारे एसोसिएशन को कोई हानी नहीं हो।

मगर अब बिहार क्रिकेट के मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है। इस व्यक्ति ने कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सभी सदस्यों को पूरे मामले कि जानकारी दिये बगैर गुमराह करके और यह दावा करके कि सब कुछ वैसा हिन होगा जैसा हम चाहेंगे ! बिहार क्रिकेट लीग का आयोजन करवा दिया, और उन पत्रों को छुपाया जिसमें इस व्यक्ति को बीसीसीआई के द्वारा इस लीग से संबन्धित सूचना दी गई है। यहां यह स्पष्ट है कि बीसीसीआई ने इस लीग को अवैध करार दिया है। लेकिन यह व्यक्ति आप कुछ कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों को केवल यह कहा कि बीसीसीआई ने आपके लीग को मान्यता नहीं दिया।

मैं यहां स्पष्ट करदेना चाहता हूँ कि बीसीसीआई के संविधान कि धारा 30 और 31 पृष्ट 76 से 78 को पढ़ें। यहां स्पष्ट किया हुआ है कि बीसीसीआई से गैर मान्यता प्राप्त लीग का आयोजन करने पर उसमें शामिल होने वाले खिलाड़ियों पर कारवाई कि जाएगी, मैच आफिसियल और सपोर्ट स्टाफ पर कारवाई कि जाएगी तथा उक्त संघ कि मान्यता भी रद्द कि जाएगी।

12. इस स्थिति के बाद मैं खुद को रोक नहीं पाया, और बिहार क्रिकेट, बिहार के पूर्व और वर्तमान क्रिकेटरों के भविष्य पर मँडराते काले बादल कि आशंका से व्यथित हो आप सबों से बिहार क्रिकेट को बचाने का निवेदन कर रहा हूँ।

13. जिलों में कहा जाता है कि कई गुट हैं, मेरा कहना है कि बिहार क्रिकेट रहेगा तब तो गुट भी रहेंगे। सब आप एक हीं हैं। एक होकर सभी आपसी विरोध को भुला कर बिहार क्रिकेट को बचाने कि पहल कीजिये, वरना भविष्य बहुत पछतावा होगा आप सबों को।

14. मैं बिहार क्रिकेट के सभी पूर्व प्रशासकों से भी अनुरोध करता हूँ कि आपलोगों के द्वारा निर्मित/ संचित बिहार क्रिकेट को पूर्णत: बरबाद करने कि साजिश हो चुकी है। आप लोग सभी बातों को भूलकर एक होकर बिहार क्रिकेट को बचाने का काम कीजिये।

मुझे उम्मीद है कि अगर मैंने कभी कोई जाने अनजाने में भूल भी कर दी होगी तो उसे भूलते हुए आप सभी जिला के सम्मानित सदस्यगन, पूर्व के प्रशासकगण और वर्तमान कमेटी ऑफ मैनेजमेंट के सदस्यों बिहार क्रिकेट को बचाने के लिए आगे आइए, मेरे लिए जो भी भूमिका तय कीजिएगा मैं तैयार हूँ। यह बिहार क्रिकेट को समाप्ति के कगार पर ल खड़ा कर दिया है, कृपया इसे बचा लें।

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